10 July 2014

रुद्राक्ष

www.goswamirishta.com

रुद्राक्ष विश्व में नेपाल,म्यान्मार,इंग्लैंड,बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है | भारत में यह मुख्यतः बिहार,बंगाल,मध्य-प्रदेश,आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है | विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर के प्राणों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है | इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है |
यह १८-२० मीटर तक ऊँचा,माध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है | इसके फल गोलाकार,१.३-२ सेमी व्यास के तथा कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं | इसके बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है|
आइये जानते हैं रुद्राक्ष के कुछ औषधीय प्रयोगों के विषय में -

१- रुद्राक्ष का शरीर से स्पर्श उत्तेजना,रक्तचाप तथा हृदय रोग आदि को नियंत्रित करता है |

२- रुद्राक्ष को पीसकर उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद में लाभ होता है |

३- रुद्राक्ष को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे नष्ट होते हैं |

४- रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) में लाभ होता है |

५- यदि बच्चे की छाती में कफ जम गया हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर ५-५ मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी द्वारा कफ निकल जाता है |

Photo: रुद्राक्ष -
              रुद्राक्ष विश्व में नेपाल,म्यान्मार,इंग्लैंड,बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है | भारत में यह मुख्यतः बिहार,बंगाल,मध्य-प्रदेश,आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है | विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर के प्राणों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है | इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है | 
                    यह १८-२० मीटर तक ऊँचा,माध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है | इसके फल गोलाकार,१.३-२ सेमी व्यास के तथा कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं | इसके बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है| 
        आइये जानते हैं रुद्राक्ष के कुछ औषधीय प्रयोगों के विषय में -

१- रुद्राक्ष का शरीर से स्पर्श उत्तेजना,रक्तचाप तथा हृदय रोग आदि को नियंत्रित करता है | 

२- रुद्राक्ष को पीसकर उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद में लाभ होता है | 

३- रुद्राक्ष को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे नष्ट होते हैं | 

४- रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) में लाभ होता है | 

५- यदि बच्चे की छाती में कफ जम गया हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर ५-५ मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी  द्वारा कफ निकल जाता है |

No comments:

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...