27 April 2013

रेलवे ने बदला नियम, अब 2 महीना पहले तक का ही रिजर्वेशन

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रेलवे ने बदला नियम, अब 2 महीना पहले तक का ही रिजर्वेशन

अब आप 4 महीना पहले ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं करा पाएंगे। रेलवे ने अडवांस रिजर्वेशन के लिए नया नियम बना दिया है। नए नियम के मुताबिक अब 2 महीना पहले ही रिजर्वेशन हो सकेगा। नया नियम 1 मई से लागू होगा। 
रेलवे ने रेल टिकट के रिजर्वेशन में बढ़ती कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को इस मामले में एक अहम फैसला लिया गया। अब इस फैसले के तहत यात्रा की तारीख से अधिकतम 60 दिन (2 महीने) पहले रेल टिकट का रिजर्वेशन करवाया जा सकेगा। अभी 4 महीने पहले रिजर्वेशन करवाने की सुविधा है।

यहां हुआ था हनुमानजी का जन्म...

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अंजनी पर्वत




वह गुफा, जहां हनुमान का जन्म हुआ था।
इतिहास के मिथकीय साक्ष्य भी इतिहास के तथ्यों को समझने में सहायक रहे हैं। इन्हीं में से एक हनमानजी के जन्मस्थल से भी जुड़ी कहानी है।
नवसारी (गुजरात) स्थित डांग जिला रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। डांग जिले के आदिवासियों की हमेशा से यह मान्यता रही है कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है।
शबरी धाम से लगभग 7 किमी की दूरी पर पूर्णा नदी पर स्थित पंपा सरोवर है। यहीं मातंग ऋषि का आश्रम था। डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मान्यता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का भी जन्म हुआ था।
कहा जाता है कि अंजनी माता ने अंजनी पर्वत पर ही कठोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न यानी हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी। माता अंजनी ने अंजनी गुफा में ही हनुमानजी को जन्म दिया था ।यही है वह स्थान, परंपरागत मान्यता के अनुसार हनुमान जी ने जन्म लिया था। डांग जिले का हरेक व्यक्ति हनुमानजी का भक्त है। अंजनी पर्वत की तलहटी में ही अंजनकुंड गांव बसा हुआ है। इसके अलावा अंजनी पर्वत के बारे में यह भी कहा जाता है कि वनवास के दौरान राम भगवान पंचवटी की ओर जाने के लिए यहां से दानवों का संहार कर ऋषि-मुनियों का उद्धार करने के लिए ही गुजरे थे। अंजनी पर्वत आज भी अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से भरा पड़ा है। यहां रहने वाले अनेक लोग अपने आपको शबरी माता का वंशज भी मानते हैं। (फोटो व विवरण- साभार दैनिक भाष्कर )

18 साल से कम उम्र वालों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स

सोशल नेटवर्किंग की जाल में फंसे बच्चे ?

अदालत ने भी सरकार से पूछा- 18 साल से कम उम्र वालों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी ?

मैं निजी काम से घर के पास एक साइबर कैफे में बैठा अपना काम कर रहा था तभी देखा कि तीन-चार लड़के -लड़कियों का समूह कैफे में घुसा। मैंने सोचा शायद कुछ डाक्यूमेंट जीराक्स कराने आए हैं क्यों कि उस कैफे में जीराक्स के अलावा रेल टिकट आरक्षण , फोटो स्कैन, लैमिनेशन वगैरह सभी कुछ होता है। मगर मेरा अनुमान गलत निकला। बच्चे संभवतः आठवीं - नवीं कक्षा के थे। आते ही बड़ी बेफिक्री से दो कंप्यूटर परबैठ गए। फेसबुक अकाउंट में लागिन किया। और अपनी ई-मित्र मंडली से कनेक्ट हो गए। किसी के फोटो पर कमेंट तो किसी के कमेंट पर कमेंट करते रहे। साथ के बच्चों के सुझाव से भी कुछ कमेंट करते रहे। इन सभी की स्कूल की छुट्टी हुई थी और वे घर जाने से पहले कैफे चले आए थे। यह उन बच्चों की सोशल नेटवर्किंग से जुड़ने की कथा हैजिन्हें कंप्यूटर के लिए कैफे में जाना पड़ता है। इनसे ईतर वे बच्चे भी हैं जो अपने घरों में ही कंप्यूटर पर या मोबाइल पर अधिकतर समय फेसबुक पर गुजारते हैं।
सोशलनेटवर्किंग की यह सुविधा एक मायने में ठीक भी है कि बच्चे देश-दुनिया के अपने हमउम्र से जुड़कर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं मगर इसका दूसरा पहलू यह है कि वे अपना अधिकतर समय सोशलनेटवर्किंग पर बिताने के आदी हो जाते हैं। जो इनके विकास में निश्चित रूप से बाधा पहुंचाती है। हालांकि अपेक्षाकृत बड़ी उम्र के यानी किशोर बच्चे से लेकर ऊंची कक्षा की पढ़ाई कर रहे बच्चों से भी मां-बाप को यही शिकायत हो सकती है। मगर स्नातक स्तर के बच्चे अपना बला-बुरा समझने की क्षमता रखते हैं। निहायत कम उम्र के बच्चों की शायद इतनी समझ नहीं होती कि वे खुद को अनुशासित रख सकें। शायद इसी कारण से एक जनहित याचिका दायर करके कम उम्र के बच्चों के सोशलनेटवर्किंग अकाउंट खोलने पर सवाल खड़ा कर दिया गया है। और अदालत ने भी सरकार से पूछा है कि 18 साल से कम उम्र वालों को फेसबुक सहित सोशल नेटवर्किंग साइट्स व जीमेल वगैरह पर पर अकाउंट खोलने की अनुमति कैसे दी गई? जबकि भारतीय कानून इसकी इजाजत नहीं देते।
एक साइबर कानून विशेषज्ञ के अनुसार- अगर कोई नबालिग इन सोशलनेटवर्किंग साइट में अकाउंट खोलता है तो न सिर्फ इस साइट को चलाने वाले बल्कि संबंधित बच्चों के माता-पिता भी कानून तोड़ने के लिए आपराधिक करार दिए जाएंगे । भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा ४६५ में ऐसे लोग अपराधी करार दिए जाएंगे और इसके लिए उन्हें दो साल तक की सजा हो सकती है।
दरअसल सोशल मीडिया साइट फेसबुक की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है की बच्चे भी फेसबुक के जाल में बुक होते जा रहे है। दुनिया के किसी भी कोने में अपने दोस्त बनाना और उनसे बाते करने का ऑपशन बच्चों को इसकी ओर खींचता है। कोर्ट ने भाजपा के पूर्व नेता गोविंदाचार्य की याचिका पर फेसबुक और गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगे हैं। आइए देखते हैं कि जनहित याचिका में क्या मेंग की गई है.-------

भाजपा नेता गोविंदाचार्य की जनहित याचिका------

भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जारहा हैऔर फेसबुक पर अकाउंट खोलते वक्त एक एग्रीमेंट साइन करना होता है, ऐसे में अगर बच्चा नाबालिग है तो भारतीय कानून के मुताबिक किसी भी तरह के एग्रीमेंट का अधिकार प्राप्त नहीं है। ये भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के खिलाफ है। कोर्ट ने अमेरिका की दो कंपनियों फेसबुक और गूगल से भी बीजेपी के पूर्व नेता के एन गोविंदाचार्य की याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें उन्होंने भारत में अपनी वेबसाइटों के संचालन से इन कंपनियों को हो रही आय पर कर वसूले जाने का आदेश दिए जाने की मांग की है।

जस्टिस बीडी अहमद व विभू बाखरू की बेंच ने सरकार के वकील सुमित पुष्करणा से 10 दिन में हलफनामा पेश करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। पीठ ने कहा, कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों का फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ अनुबंध हो सकता है! याचिका में कहा गया है कि पहचान का कोई तरीका न होने के कारण दुनियाभर में फेसबुक के आठ करोड़ यूजर्स फर्जी हैं। खुद फेसबुक इस बात को अमेरिकी अधिकारियों के सामने मान चुकी है। भारत सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही है।

राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संरक्षक गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका में केंद्र और दो वेबसाइटों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करे। उनके मुताबिक फेसबुक का पिछले साल तकरीबन 37 अरब डॉलर का व्यापार किया था, लेकिन कंपनी ने भारत सरकार को एक रुपए तक का कर नहीं दिया। इस याचिका में 5 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने मांग की है कि-

-पांच करोड़ भारतीय यूजर्स की जानकारी की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
-इस जानकारी का अमेरिका में व्यावसायिक उपयोग रुकवाया जाए।
-भविष्य में सभी यूजर्स की पहचान सुनिश्चित करवाई जाए।

दांपत्य बंधन में बंधने के बाद

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दांपत्य बंधन में बंधने के बाद एक समय ऐसा भी आता है जब बात-बात पर पति-पत्नी में झगड़े शुरू हो जाते हैं। व्यक्ति अपने जीवनसाथी से व्यर्थ के झगड़ों में उलझ, अपना जीवन भी तनावमय बना लेता है। शादी के बाद आप अपने जीवन साथी के साथ सुकुन का जीवन व्यतीत कर सकें, अपने जीवनसाथी के सुख-दुख में अपना साथ दे सकें इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान रखें। आइए जानें दांपत्य के झगड़ों से बचने के लिए क्या करें।

पति-पत्नी 24 घंटे साथ रहते हैं और उनका रिश्ता बहुत ही नाजुक होता है। ऐसे में तमाम मुद्दों पर असहमति और मतभेद होने की गुजाइंश रहती है। हालांकि दोनों को ही छोटी-छोटी बात पर मतभेद करने से बचना चाहिए।
यदि आपके साथी का स्वभाव तेज है तो आपको अपने साथी को समझते हुए नरमी से पेश आना चाहिए।
हर बात पर तर्क-वितर्क और बहस न करें। कभी-कभी बातें सुनना भी अच्छात रहता है।
यदि पति-पत्नी के बीच एक को बहुत ज्यादा बोलने की आदत है, तो दूसरे को चुपचाप सुन लेना चाहिए।
झगड़ा होने के बावजूद लंबे समय तक बातचीत बंद न करें। लगातार संवाद करते रहें।
पुरानी बातों को लेकर बहस न करें और अतीत को लेकर झगड़ा न करें।
कभी भी तीसरे व्यक्ति के लिए आपस में न झगड़े या फिर किसी के बहकावे में आकर बिना कारण जानें झगड़ा न करें। यदि आपस में झगड़ा है भी तो बाहर के किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शेयर न करें।
झगड़े के दौरान एक-दूसरे के परिवार को बीच में न लाएं, इससे झगड़ा अधिक बढ़ने की संभावना रहती है।
एक-दूसरे की कमजोरी का मजाक न उड़ाए और न ही झगड़े में ऐसी बातों को तूल दें। जितनी जल्दी हो सकें झगड़े को खत्म करें या फिर झगड़े का कारण ढूंढ उसका समाधान करें।
आपकी गलती है, तो भी आप माफी मांगने की पहल करें इससे आपके साथी को अच्छा लगेगा और आपके बीच पैदा हुई गलतफहमियां भी दूर होंगी।
एक-दूसरे पर गलत आरोप लगाने से बचें। साथ ही सार्वजनिक तौर पर बिल्कुल न झगड़े।

इन टिप्स को अपनाकर आप झगड़े से आराम से बच सकते हैं साथ ही अपने साथी को अपने करीब ला सकती हैं।

सुबह उठने के पश्चात

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सुबह उठने के पश्चात ( यदि संभव हो तो सूर्योदय के पहले उठें ) और बिछावन त्यागने से पूर्व एवं भूमिमें चरण स्पर्श हो उससे पूर्व इन प्रार्थनाओं को अपनी दिनचर्या का भाग बनाएँ ! 
सर्व प्रथम अपने दोनों हाथों को अपने नेत्र के समक्ष रखकर यह प्रार्थना करना चाहिए !
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति |
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ||
अर्थ : हाथके अग्रभाग में लक्ष्मी का वास है । हस्तके मध्य में सरस्वती का वास है, और हस्तके मूल में गोविंद भगवान का वास है | अतः सुबह सुबह प्रथम अपने हस्त का दर्शन करना चाहिये |
तत्पश्चात भूमि को हाथ से स्पर्श कर भूमि प्रार्थना इस प्रकार करें |
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥
हे पृथ्वी माँ आप विष्णु पत्नी हैं, समुद्र आपके वस्त्र हैं और पर्वत आपके वक्षस्थल हैं, मैं आपको वंदन करता हूँ और चलते समय मेरे चरणों के स्पर्श आपको होंगे कृपया मेरी इस धृष्टता को क्षमा करें !
Try to do these two prayers after getting up in the morning (preferably before sunrise ) . First open your palm and mediate on it by saying the first verse and then and before letting the feet touch the ground , recite the second verse in the form of prayer to Mother earth by touching the ground with your hand .

1. कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति |
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ||
karagre wasate laxmih , karmadhye saraswati
karmoole tu govindah prabhate kar darshanam

Meaning : Goddess Lakshmii dwells at the beginning of the hand.
In the center of the palm resides Sarasvati, the Goddess
of wisdom. At the base of the palm is Govinda, the
Lord of the universe. Hence, one should look and meditate on
the hand early in the morning immediately after rising.

2. समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥
Samudra-Vasane Devi Parvat-Stana-Manddale |
Vishnu-Patni Namastubhyam Paada-sparsham Kshama-Svame ||

Meaning: (O Mother Earth) The Devi Who is having Ocean as Her Garments and Mountains as Her Bosom, Who is the Consort of Sri Vishnu, I Bow to You; Please Forgive Us for Touching You with Our Feet.

विज्ञान और धर्म

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विज्ञान और धर्म...

इस छोटी सी कथा में एक बहुत बड़ा सन्देश है। गीता एक छोटी सी पुस्तक नही बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय ग्रन्थ है। यह सभी धर्मों से उपर उठकर मानवता को एक विशेष सन्देश देती है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिक डॉ. हाल्डेन ने सन् 1922 ई. में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शरीर के अंदर होने वाली रासायनिक क्रियाओं पर अनुसंधान कर पूरे संसार में ख्याति प्राप्त की। इस अनुसंधान के बाद उन्होंने सोचा कि अब धर्म और आध्यात्मिक रहस्यों का अध्ययन किया जाए।

उन्होंने अनेक हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन कर डाला। फिर वह गीता पढ़ने लगे। जैसे-जैसे वह गीता का एकाग्रता से मनन करते गए वैसे-वैसे उनका मोह भौतिक वस्तुओं से हटता गया और उन्हें अहसास हो गया कि भौतिकवादी साधनों से कभी भी मानव को सच्ची शांति व सुख प्राप्त नहीं हो सकता।

सन् 1951 में वह अपनी पत्नी के साथ भारत आए। यहां घूमते हुए वह भुवनेश्वर पहुंचे। वहां अनेक धर्म प्रचारक भी मौजूद थे। अचानक ब्रिटेन के एक धर्म प्रचारक ने उनसे पूछा, 'आप एक अंग्रेज होते हुए भी गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ क्यों मानते हैं? क्या आपकी नजरों में गीता से बेहतर और कोई ग्रंथ नहीं है?'

ब्रिटेन के धर्म प्रचारक की बात सुनकर डॉ हाल्डेन बोले, 'गीता निरंतर निष्काम कर्म करते रहने की प्रेरणा देकर आलसी लोगों को भी कर्म से जोड़ती है। वह भक्ति और कर्म दोनों को एक-दूसरे का पूरक बताती है। वह किसी संप्रदाय या धर्म का नहीं मानव मात्र के कल्याण का संदेश देती है। इसलिए मुझे गीता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। मैं वैज्ञानिक होकर भी इसे अपने काम के लिए उपयोगी मानता हूं। दूसरे पेशे के लोगों के लिए भी यह उपयोगी है।'

ब्रिटेन के धर्म प्रचारक डॉ. हाल्डेन की यह बात सुनकर चुप हो गए।

Repeat कर रहे हैं क्योंकि बहुत महत्त्वपूर्ण शब्द हैं।
'गीता निरंतर निष्काम कर्म करते रहने की प्रेरणा देकर आलसी लोगों को भी कर्म से जोड़ती है। वह भक्ति और कर्म दोनों को एक-दूसरे का पूरक बताती है। वह किसी संप्रदाय या धर्म का नहीं मानव मात्र के कल्याण का संदेश देती है। इसलिए मुझे गीता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। मैं वैज्ञानिक होकर भी इसे अपने काम के लिए उपयोगी मानता हूं। दूसरे पेशे के लोगों के लिए भी यह उपयोगी है।'

कौन से पाप कौन सी सजा

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जिंदगी में सभी के अपने कायदे या सिद्धांत होते हैं। हर व्यक्ति का जीवन जीने का अपना तरीका है। जो बात किसी के लिये उसका कर्तव्य और धर्म है वह किसी के लिये घोर पाप या नीच कृत्य हो सकता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जिन कर्मों को पाप माना गया है उसकी सजा उसे अपनी मृत्यु के बाद मिलती है। किस पाप की क्या सजा मिलती है। इसका वर्णन गरूड़ पुराण में कुछ इस प्रकार दिया हुआ है। गरुड़ जी बोले- भगवान जीवों को उनके कौन से पाप कौन सी सजा मिलती है। वे किन अगला जन्म किस रूप में लेते हैं व भी बताइए।

भगवान कहते हैं गरूड़ ध्यान से सुनो-

- ब्रह्महत्या करने वाला क्षयरोगी।

- गाय की हत्या करने वाले कुबड़ा।

- कन्या की हत्या करने वाला कोढ़ी।

- स्त्री पर हाथ उठाने वाला रोगी।

- परस्त्री गमन करने वाला नपुंसक।

- गुरुपत्नी सेवन से खराब शरीर वाला।

- मांस खाने व मदिरा पीने वाले के दांत काले व अंग लाल होते हैं।

- दूसरे को न देकर अकेले मिठाई खाने वाले को गले का रोगी।

- घमंड से गुरु का अपमान करने वाले को मिरगी।

- झूठी गवाही देने वाला गूंगा।

- किताब चोरी करने वाला जन्मांध।

- झूठ बोलने वाला बहरा।

- जहर देने वाला पागल होता है।

- अन्न चोरी करने वाला चूहा।

- इत्र की चोरी करने वाले छछुंदर।

- जहर पीकर मरन वाले काले सांप।

- किसी की आज्ञा नहीं मानते वे निर्जन वन में हाथी होते हैं।

- ब्राह्मण गायत्री जप नहीं करते वे अगले जन्म में बगुला होते हैं।

- पति को बुरा-भला कहने वाली जूं बनती है।

- परपुरूष की कामना रखने वाली स्त्री चमगादड़ बनती है।

- मृतक के ग्यारहवे में भोजन करने वाला कुत्ता बनता है।

- मित्र की पत्नी से मोह रखने वाले गधा बनता है।
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स्त्री को अपनी मुक्ति के लिए अपने व्यक्तित्व को खड़ा करने की दिशा में सोचना चाहिए। प्रयोग करने चाहिए। लेकिन ज्यादा से ज्यादा वह क्लब बना लेती है, जहां ताश खेल लेती है, कपड़ों की बात कर लेती है, फिल्मों की बात कर लेती है, चाय-कॉफी पी लेती है, पिकनिक कर लेती है और समझती है कि बहुत है, शिक्षित होना पूरा हो गया। ताश खेल लेती होगी। पुरुषों की नकल में दो पैसे जुए के दांव पर लगा लेती होगी बाकी इससे उसको कुछ व्यक्तित्व नहीं मिलने वाला है।

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स्त्री को भी सृजन के मार्गों पर जाना पड़ेगा। उसे भी निर्माण की दिशाएं खोजनी पड़ेंगी। जीवन को ज्यादा सुंदर और सुखद बनाने के लिए उसे भी अनुदान करना पड़ेगा; तभी स्त्री का मान, स्त्री का सम्मान, उसकी प्रतिष्ठा है। वह समकक्ष आ सकती है।

स्त्री को एक और तरह की ‍'शिक्षा' चाहिए, जो उसे संगीतपूर्ण व्यक्तित्व दे, जो उसे नृत्यपूर्ण व्यक्तित्व दे, जो उसे प्रतीक्षा की अनंत क्षमता दे, जो उसे मौन की, चुप होने की, अनाक्रामक होने की, प्रेमी की और करुणा की गहरी शिक्षा दे। यह शिक्षा अनिवार्य रूपेण 'ध्यान' है।

स्त्री को पहले दफा यह सोचना है क्या स्त्री भी एक नई संस्कृति को जन्म देने के आधार रख सकती है? कोई संस्कृति जहां युद्ध और हिंसा नहीं। कोई संस्कृति जहां प्रेम, सहानुभूति और दया हो। कोई संस्कृति जो विजय के लिए आतुर न हो- जीने के लिए आतुर हो। जीने की आतुरता हो। जीवन को जीने की कला और जीवन को शान्ति से जीने की आस्था और निष्ठा पर खड़ी हो- यह संस्कृति- स्त्री जन्म दे सकती है- स्त्री जरूर जन्म दे सकती है। 

आज तक चाहे युद्ध में कोई कितना ही मरा हो, स्त्री का मन निरंतर-प्राण उसके दुख से भरे रहे। उसका भाई मरता है, उसका बेटा मरता है, उसका बाप मरता है, पति मरता है, प्रेमी मरता है। स्त्री का कोई न कोई युद्ध में जा के मरता है। 

अगर सारी दुनिया की स्त्रियां एक बार तय कर लें- युद्ध नहीं होगा; दुनिया पर कोई राजनैतिक युद्ध में कभी किसी को नही घसीट सकता। सिर्फ स्त्रियां तय कर लें; युद्ध अभी नहीं होगा- तो नहीं हो सकता। क्योंकि कौन जाएगा युद्ध पर? कोई बेटा जाता है, कोई पति जाता है, कोई बाप जाता है। स्त्रियां एक बार तय कर लें। 

लेकिन स्त्रियां पागल हैं। युद्ध होता है तो टीका करती हैं कि जाओ युद्ध पर। पाकिस्तानी मां, पाकिस्तानी बेटे के माथे पर टीका करती है कि जाओ युद्ध पर। हिन्दुस्तानी मां, हिन्दुस्तानी बेटे के माथे पर टीका करती है कि जाओ बेटे; युद्ध पर जाओ।

पता चलता है कि स्त्री को कुछ पता नहीं कि यह क्या हो रहा है। वह पुरुष के पूरे जाल में सिर्फ एक खिलौना बन हर जगह एक खिलौना बन जाती है। चाहे पाकिस्तानी बेटा मरता हो, चाहे हिन्दुस्तानी; किसी मां का बेटा मरता है। यह स्त्री को समझना होगा। रूस का पति मरता हो चाहे अमेरिका का। स्त्री को समझना होगा, उसका पति मरता है। अगर सारी दुनिया की स्‍ित्रयों को एक ख्याल पैदा हो जाए कि आज हमें अपने पति को, बेटे को, अपने बाप को युद्ध पर नहीं भेजना है, तो फिर पुरुष की लाख कोशिश पर राजनैतिकों की हर कोशिशें व्यर्थ हो सकती हैं, युद्ध नहीं हो सकता है।

यह स्त्री की इतनी बड़ी शक्ति है, वह उसके ऊपर सोचती है कभी? उसने कभी कोई आवाज नहीं की। उसने कभी कोई फिक्र नहीं की। उस आदमी ने- पुरुष ने- जो रेखाएं खींची हैं राष्ट्रों की, उनको वह मान लेती है। प्रेम कोई रेखाएं नहीं मान सकता। हिंसा रेखाएं मानती है, क्योंकि जहां प्रेम है, वहां सीमा नहीं होती। सारी दुनिया की स्‍ित्रयों को एक तो बुनियादी यह खयाल जाग जाना चाहिए कि हम एक नई संस्कृति को, एक नए समाज को, एक नई सभ्यता को जन्म दे सकती हैं। जो पुरुष का आधार है उसके ठीक विपरीत आधार रखकर...

यह स्त्री कर सकती है। और स्त्री सजग हो, कॉन्शियस हो, जागे तो कोई भी कठिनाई नहीं। एक क्रांति- बड़ी से बड़ी क्रांति दुनिया में स्त्री को लानी है। वह यह 'एक प्रेम पर आधारित' देने वाली संस्कृति, जो मांगती नहीं, इकट्ठा नहीं करती, देती है, ऐसी एक संस्कृति, निर्मित करनी है। ऐसी संस्कृ‍‍ति के निर्माण के लिए जो भी किया जा सके वह सब। उस सबसे बड़ा धर्म स्त्री के सामने आज कोई और नहीं। यह पुरुष के संसार को बदल देना है आमूल।

शायद पुरानी पीढ़ी नहीं कर सकेगी। नई पीढ़ी की लड़कियां कुछ अगर हिम्मत जुटाएंगी और फिर पुरुष होने की नकल और बेवकूफी में नहीं पड़ेंगी तो यह क्रांति निश्चित हो सकती है।
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जीवन बचा हुआ है मेरा हे कपि तेरी कृपा नजर से 
तूने मग में ज्योति जगा कर .हमें बचाया सघन तिमिर से.

मैं कुछ जान न पाया ,तुमने निज इच्छा से अस्त्र सम्हाले 
आने वाले संकट मेरे ,आने से पहले ही टाले 

सच कहता हूँ , हे प्रभु मैं तो तुमको उसपल भूल गया था
अपनी बलबुद्धी के मद में तब मैं इतना फूल गया था

क्या होता ,मेराप्रभु ,यदितुम ,मुझपर तत्क्षण कृपा न करते
मेरी परछाईं से भी तब ,शायद मेरे परिजन डरते.

जीवन दान दिया क्यों मुझको हे प्रभु ह्म यह समझ न पाये ,
इक्यासी का हुआ,करूं क्या ,ऐसा जो तेरे मन भाये

यही प्रेरणा हुई ,क़ि प्यारे ,तुम अपना अनुभव लिख डालो
लाभान्वित हों सबजन ,ऎसी कथा कहो, हरि के गुन गा लो
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जीवन बचा हुआ है मेरा हे कपि तेरी कृपा नजर से 
तूने मग में ज्योति जगा कर .हमें बचाया सघन तिमिर से.

मैं कुछ जान न पाया ,तुमने निज इच्छा से अस्त्र सम्हाले 
आने वाले संकट मेरे ,आने से पहले ही टाले 

सच कहता हूँ , हे प्रभु मैं तो तुमको उसपल भूल गया था
अपनी बलबुद्धी के मद में तब मैं इतना फूल गया था

क्या होता ,मेराप्रभु ,यदितुम ,मुझपर तत्क्षण कृपा न करते
मेरी परछाईं से भी तब ,शायद मेरे परिजन डरते.

जीवन दान दिया क्यों मुझको हे प्रभु ह्म यह समझ न पाये ,
इक्यासी का हुआ,करूं क्या ,ऐसा जो तेरे मन भाये

यही प्रेरणा हुई ,क़ि प्यारे ,तुम अपना अनुभव लिख डालो
लाभान्वित हों सबजन ,ऎसी कथा कहो, हरि के गुन गा लो

he healty

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खाना

मित्रो आप इन नियमो का पालण पूरी ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी मे करे !!
ये नियमो का पालण न करने से ही बीमारियाँ ज़िंदगी मे आती हैं !!
____________________________________
सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गर्म पानी पिये !! 2 से 3 गिलास जरूर पिये !
पानी हमेशा बैठ कर पिये !
पानी हमेशा घूट घूट करके पिये !!

घूट घूट कर इसलिए पीना है ! ताकि सुबह की जो मुंह की लार है इसमे ओषधिए गुण बहुत है ! ये लार पेट मे जानी चाहिए ! वो तभी संभव है जब आप पानी बिलकुल घूट घूट कर मुंह मे घूमा कर पिएंगे !

इसके बाद दूसरा काम पेट साफ करने का है ! रोज पानी पीकर सुबह शोचालय जरूर जाये !पेट का सही ढंग से साफ न होना 108 बीमारियो की जड़ है !

खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है !
हमेशा डेड घंटे बाद ही पानी पीएं !

खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!

1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध

सुबह खाने के बाद अगर कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!

इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!


इसके इलावा खाने के तेल मे भूल कर भी refine oil का प्रयोग मत करे !(वो चाहे किसी भी कंपनी का क्यू न हो dalda ,ruchi,gagan)को भी हो सकता है !
अभी के अभी घर से निकाल दें ! बहुत ही घातक है !
सरसों के तेल का प्रयोग करे ! या देशी गाय के दूध का शुद्ध घी खाएं ! ! (पतंजलि का सरसों का तेल एक दम शुद्ध है !(शुद्ध सरसों के तेल की पहचान है मुंह पर लगाते ही एक दम जलेगा ! और खाना बनाते समय आंखो मे हल्की जलन होगी !


चीनी का प्रयोग तुरंत बंद कर दीजिये ! गुड खाना का प्रयोग करे ! या शक्कर खाये !! चीनी बहुत बीमारियो की जड़ ! slow poison है !)

खाने बनाने मे हमेशा सेंधा नमक या काला नमक का ही प्रयोग करे !! आयोडिन युक्त नमक कभी न खाएं !!


सुबह का भोजन सूर्य उद्य ! होने के 2 से 3 घंटे तक कर लीजिये ! (अगर 7 बजे आपके शहर मे सूर्य निकलता है ! तो 9 या 10 बजे तक सुबह का भोजन कर लीजिये ! इस दौरान जठर अग्नि सबसे तेज होती है ! सुबह का खाना हमेशा भर पेट खाएं ! सुबह के खाने मे पेट से ज्यादा मन संतुष्टि होना जरूरी है ! इसलिए अपनी मनपसंद वस्तु सुबह खाएं !!

खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

इसी प्रकार दोपहर को खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

रात को खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना ! रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएँ ! कम से कम 500 कदम सैर करे ! और रात को खाना खाने के कम स कम 2 घंटे बाद ही सोएँ !

ब्रह्मचारी है (विवाह के बंधन मे नहीं बंधे ) तो हमेशा सिर पूर्व दिशा की और करके सोएँ ! ब्रह्मचारी नहीं है तो हमेशा सिर दक्षिण की तरफ करके सोएँ ! उत्तर और पश्चिम की तरफ कभी सिर मत करके सोएँ !

मैदे से बनी चीजे पीज़ा ,बर्गर ,hotdog,पूलड़ोग , आदि न खाएं ! ये सब मेदे को सड़ा कर बनती है !! कब्ज का बहुत बड़ा कारण है !!


इन सब नियमो का अगर पूरी ईमानदारी से प्रयोग करेंगे ! 1 से 2 महीने मे ऐसा लगेगा पूरी जिंदगी बदल गई है ! मोटापा है तो कम हो जाएगा ! hihgh BP,cholesterol,triglycerides,सब level पर आना शुरू हो जाएगा ! HDL बढ्ने लगेगा ! LDL ,VL DL कम होने लगेगा !! और भी बहुत से बदलाव आप देखेंगे !!
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http://www.youtube.com/watch?v=dbtuhIvQ6E4

थायरायड की चिकित्सा:: राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

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******* थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां ********
थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है | एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है | यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है | पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं | यह ” पैराथारमोन ” हार्मोन का उत्पादन करती हैं | इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं-

******* थायरायड ग्रंथि के कार्य ******

थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है | थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में -

• बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है |
• यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है |
• शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है |
• शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है |

थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं –

अल्प स्राव [ HYPO THYRODISM ]

थायरायड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बन ने की अवस्था को ” हायपोथायराडिज्म ” कहते हैं, इस से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं -

• शारीरिक व् मानसिक वृद्धि मंद हो जाती है |
• बच्चों में इसकी कमी से CRETINISM नामक रोग हो जाता है |
• १२ से १४ वर्ष के बच्चे की शारीरिक वृद्धि ४ से ६ वर्ष के बच्चे जितनी ही रह जाती है |
• ह्रदय स्पंदन एवं श्वास की गति मंद हो जाती है |
• हड्डियों की वृद्धि रुक जाती है और वे झुकने लगती हैं |
• मेटाबालिज्म की क्रिया मंद हो जाती हैं |
• शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सुजन भी आ जाती है |
• सोचने व् बोलने ki क्रिया मंद पड़ जाती है |
• त्वचा रुखी हो जाती है तथा त्वचा के नीचे अधिक मात्रा में वसा एकत्र हो जाने के कारण आँख की पलकों में सुजन आ जाती है |
• शरीर का ताप कम हो जाता है, बल झड़ने लगते हैं तथा ” गंजापन ” की स्थिति आ जाती है |

थायरायड ग्रंथि का अतिस्राव

इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है | इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं —-

• शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
• ह्रदय की धड़कन व् श्वास की गति बढ़ जाती है |
• अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
• शरीर का वजन कम होने लगता है |
• कई लोगों की हाँथ-पैर की उँगलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है |
• गर्मी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है |
• मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है |
• घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है |
• शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है |

पैराथायरायड ग्रंथियों के असंतुलन से उत्पन्न होने वाले रोग

जैसा कि पीछे बताया है कि पैराथायरायड ग्रंथियां ” पैराथार्मोन “ हार्मोन स्रवित करती हैं | यह हार्मोन रक्त और हड्डियों में कैल्शियम व् फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखता है | इस हार्मोन की कमी से – हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं, जोड़ों के रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं | पैराथार्मोन की अधिकता से – रक्त में, हड्डियों का कैल्शियम तेजी से मिलने लगता है,फलस्वरूप हड्डियाँ अपना आकार खोने लगती हैं तथा रक्त में अधिक कैल्शियम पहुँचने से गुर्दे की पथरी भी होनी प्रारंभ हो जाती है |

विशेष :-
थायरायड के कई टेस्ट जैसे - T -3 , T -4 , FTI , तथा TSH द्वारा थायरायड ग्रंथि की स्थिति का पता चल जाता है | कई बार थायरायड ग्रंथि में कोई विकार नहीं होता परन्तु पियुष ग्रंथि के ठीक प्रकार से कार्य न करने के कारण थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाले हार्मोन -TSH [ Thyroid Stimulating hormone ] ठीक प्रकार नहीं बनते और थायरायड से होने वाले रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |

थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा :-

thyroid के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर पीए रोजाना....एक दम ठीक हो जाएगा (बस धनिया देसी हो उसकी सुगन्ध अच्छी हो)

आहार चिकित्सा ***
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी,मौसमी फल, तजि हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |

परहेज :-
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें | अगर आप सफ़ेद नमक (समुन्द्री नमक) खाते है तो उसे तुरन्त बंद कर दे और सैंधा नमक ही खाने में प्रयोग करे, सिर्फ़ सैंधा नमक ही खाए सब जगह

1 – गले की गर्म-ठंडी सेंक
साधन :– गर्म पानी की रबड़ की थैली, गर्म पानी, एक छोटा तौलिया, एक भगौने में ठण्डा पानी |
विधि :— सर्वप्रथम रबड़ की थैली में गर्म पानी भर लें | ठण्डे पानी के भगौने में छोटा तौलिया डाल लें | गर्म सेंक बोतल से एवं ठण्डी सेंक तौलिया को ठण्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर निम्न क्रम से गले के ऊपर गर्म-ठण्डी सेंक करें -
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– ३ मिनट ठण्डी
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक यह उपचार करें | इसे दिन में दो बार – प्रातः – सांय कर सकते हैं |

2- गले की पट्टी लपेट :-
साधन :- १- सूती मार्किन का कपडा, लगभग ४ इंच चौड़ा एवं इतना लम्बा कि गर्दन पर तीन लपेटे लग जाएँ |
२- इतनी ही लम्बी एवं ५-६ इंच चौड़ी गर्म कपडे की पट्टी |

विधि :- सर्वप्रथम सूती कपडे को ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें, तत्पश्चात गले में लपेट दें इसके ऊपर से गर्म कपडे की पट्टी को इस तरह से लपेटें कि नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह से ढक जाये | इस प्रयोग को रात्रि सोने से पहले ४५ मिनट के लिए करें |

3 -गले पर मिटटी कि पट्टी:-
साधन :- १- जमीन से लगभग तीन फिट नीचे की साफ मिटटी |
२- एक गर्म कपडे का टुकड़ा |
विधि :- लगभग चार इंच लम्बी व् तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच मोटी मिटटी की पट्टी को बनाकर गले पर रखें तथा गर्म कपडे से मिटटी की पट्टी को पूरी तरह से ढक दें | इस प्रयोग को दोपहर को ४५ मिनट के लिए करें |
विशेष :- मिटटी को ६-७ घंटे पहले पानी में भिगो दें, तत्पश्चात उसकी लुगदी जैसी बनाकर पट्टी बनायें |

4 – मेहन स्नान
विधि :-
एक बड़े टब में खूब ठण्डा पानी भर कर उसमें एक बैठने की चौकी रख लें | ध्यान रहे कि टब में पानी इतना न भरें कि चौकी डूब जाये | अब उस टब के अन्दर चौकी पर बैठ जाएँ | पैर टब के बाहर एवं सूखे रहें | एक सूती कपडे की डेढ़ – दो फिट लम्बी पट्टी लेकर अपनी जननेंद्रिय के अग्रभाग पर लपेट दें एवं बाकी बची पट्टी को टब में इस प्रकार डालें कि उसका कुछ हिस्सा पानी में डूबा रहे | अब इस पट्टी/ जननेंद्रिय पर टब से पानी ले-लेकर लगातार भिगोते रहें | इस प्रयोग को ५-१० मिनट करें, तत्पश्चात शरीर में गर्मी लाने के लिए १०-१५ मिनट तेजी से टहलें |

योग चिकित्सा ***

उज्जायी प्राणायाम :-
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें | अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |

प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें |

थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा ::

एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं

थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं [ घडी की सुई की उलटी दिशा में ] देना चाहिए | इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए |

विशेष :-
प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें |
पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग मैथेड [ पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें ] से प्रेशर देना चाहिए |

अगर आपका पेट ख़राब है

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अगर आपका पेट ख़राब है और दस्त हो गया है , बार-बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अच्छी दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो और फिर गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंद हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डाल के जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |
और एक अच्छी दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो और फिर थोडा पानी पी लो. ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अच्छी दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |
पेट जुडी दो-तीन ख़राब बीमारियाँ है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अच्छी दावा है मूली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |


पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=PHuYbNe2lBw
अगर आपका पेट ख़राब है और दस्त हो गया है , बार-बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अच्छी दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो और फिर गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंद हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डाल के जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |
और एक अच्छी दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो और फिर थोडा पानी पी लो. ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अच्छी दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |
पेट जुडी दो-तीन ख़राब बीमारियाँ है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अच्छी दावा है मूली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |

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अगर आपका पेट ख़राब है और दस्त हो गया है , बार-बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अच्छी दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो और फिर गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंद हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डाल के जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |
और एक अच्छी दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो और फिर थोडा पानी पी लो. ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अच्छी दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |
पेट जुडी दो-तीन ख़राब बीमारियाँ है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अच्छी दावा है मूली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |

Be Healthy

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खाना

मित्रो आप इन नियमो का पालण पूरी ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी मे करे !!
ये नियमो का पालण न करने से ही बीमारियाँ ज़िंदगी मे आती हैं !!
____________________________________
सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गर्म पानी पिये !! 2 से 3 गिलास जरूर पिये !
पानी हमेशा बैठ कर पिये !
पानी हमेशा घूट घूट करके पिये !!

घूट घूट कर इसलिए पीना है ! ताकि सुबह की जो मुंह की लार है इसमे ओषधिए गुण बहुत है ! ये लार पेट मे जानी चाहिए ! वो तभी संभव है जब आप पानी बिलकुल घूट घूट कर मुंह मे घूमा कर पिएंगे !

इसके बाद दूसरा काम पेट साफ करने का है ! रोज पानी पीकर सुबह शोचालय जरूर जाये !पेट का सही ढंग से साफ न होना 108 बीमारियो की जड़ है !

खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है !
हमेशा डेड घंटे बाद ही पानी पीएं !

खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!

1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध

सुबह खाने के बाद अगर कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!

इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!


इसके इलावा खाने के तेल मे भूल कर भी refine oil का प्रयोग मत करे !(वो चाहे किसी भी कंपनी का क्यू न हो dalda ,ruchi,gagan)को भी हो सकता है !
अभी के अभी घर से निकाल दें ! बहुत ही घातक है !
सरसों के तेल का प्रयोग करे ! या देशी गाय के दूध का शुद्ध घी खाएं ! ! (पतंजलि का सरसों का तेल एक दम शुद्ध है !(शुद्ध सरसों के तेल की पहचान है मुंह पर लगाते ही एक दम जलेगा ! और खाना बनाते समय आंखो मे हल्की जलन होगी !


चीनी का प्रयोग तुरंत बंद कर दीजिये ! गुड खाना का प्रयोग करे ! या शक्कर खाये !! चीनी बहुत बीमारियो की जड़ ! slow poison है !)

खाने बनाने मे हमेशा सेंधा नमक या काला नमक का ही प्रयोग करे !! आयोडिन युक्त नमक कभी न खाएं !!


सुबह का भोजन सूर्य उद्य ! होने के 2 से 3 घंटे तक कर लीजिये ! (अगर 7 बजे आपके शहर मे सूर्य निकलता है ! तो 9 या 10 बजे तक सुबह का भोजन कर लीजिये ! इस दौरान जठर अग्नि सबसे तेज होती है ! सुबह का खाना हमेशा भर पेट खाएं ! सुबह के खाने मे पेट से ज्यादा मन संतुष्टि होना जरूरी है ! इसलिए अपनी मनपसंद वस्तु सुबह खाएं !!

खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

इसी प्रकार दोपहर को खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !

रात को खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना ! रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएँ ! कम से कम 500 कदम सैर करे ! और रात को खाना खाने के कम स कम 2 घंटे बाद ही सोएँ !

ब्रह्मचारी है (विवाह के बंधन मे नहीं बंधे ) तो हमेशा सिर पूर्व दिशा की और करके सोएँ ! ब्रह्मचारी नहीं है तो हमेशा सिर दक्षिण की तरफ करके सोएँ ! उत्तर और पश्चिम की तरफ कभी सिर मत करके सोएँ !

मैदे से बनी चीजे पीज़ा ,बर्गर ,hotdog,पूलड़ोग , आदि न खाएं ! ये सब मेदे को सड़ा कर बनती है !! कब्ज का बहुत बड़ा कारण है !!


इन सब नियमो का अगर पूरी ईमानदारी से प्रयोग करेंगे ! 1 से 2 महीने मे ऐसा लगेगा पूरी जिंदगी बदल गई है ! मोटापा है तो कम हो जाएगा ! hihgh BP,cholesterol,triglycerides,सब level पर आना शुरू हो जाएगा ! HDL बढ्ने लगेगा ! LDL ,VL DL कम होने लगेगा !! और भी बहुत से बदलाव आप देखेंगे !!
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    • Parvesh Wadhwa जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाही तोडू रे।
      तोरी प्रीत तोड़ी कृष्णा, कौन संग जोडू॥
      तुम भये तरुवर, मैं भयी पंखिया।
      तुम भये सरोवर, मैं भयी मछिया॥
      तुम भये गिरिवर, मैं भयी चारा।
      ...See More
    • Mahesh Ambwani hare krishna
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  2. हजारों फूल लगते हैं, सिर्फ़ एक माला बनाने के लिए, हजारों दीप लगते हैं, सिर्फ़ एक आरती सजाने के लिए.. मगर अपना तो एक ही ♥ "कृष्णा" ♥ काफी हैं, सभी की ज़िन्दगी को "जन्नत" बनाने के लिए..|| जय जय श्री राधे...... ♥ राधे राधे ♥ !!!
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  3. Good Morning and Har Har Mahadev
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  6. Jai Shri Krishna
    Khoobsurat hai wo muskaan jo Shri Krishna ko dekh kar khil jaye
    Khubsurat hai wo dil jo Shri Krishna ke pyar ke rang mai rang jaye
    Khubsurat hai wo ehsas jis mai Shri Krishna ke pyar ki mithas ho
    Khubsurat hai wo aankhe jinme Shri Krishna ke khubsurat kwab sama jaye
    Khubsurat hai wo aansoo jo Shri Krishna ke gum mai beh jaye...
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  7. Shubh Prabhat Mitro
    Aap sabhi ka din mangalmay ho
    Jai Shri Laxmi Narayan ji
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  8. Jai Jai Shree Radhey
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  9. Jai Jai Shree Radhey

    Bhagavad-gita 15.1-3 Krsna and His eternal consort, Radharani, are shown in Their eternal abode, Goloka Vrndavana. The upside-down tree below Them is the banyan tree, representing the material world, which is a perverted reflection of the spiritual world. The demigods are on the top branches, the human beings are on the middle branches, and the animals are on the lower branches. On the right a man is disentangling himself from the tree by cutting it with the weapon of detachment.
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  10. Jai Jai Shree Radhey
    Ek Radha ek Meera, dono ne Shyam ko chaha, antar kya dono ki preet me bolo, ek prem diwani ek darsh diwani....
  11. Shubh Prabhat Mitro
    "...ख़ामोशी में कभी कभी तूफान भी आ जाते हैं,
    घर में बरकत हो तो मेहमान भी आ जाते हैं !
    ऐसा एक हुजरा नशीं भी मेरी नजरों में है,
    जिसकी दहलीज़ पे सुल्तान भी आ जाते हैं !
    बेरुखी इस करके भी नहीं खलती मुझे कान्हा की,
    ...See More
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  12. बड़ा निराला प्यार है तेरा ‘श्याम’ सारी दुनिया जाने |
    तुम सब के प्यारे हो मोहन ये तो बच्चा-बच्चा जाने ||

    अब तक मालूम न था मुझे दस्तूर तुम्हारे द्वारे का |
    अब पिला दिया है अमृत तुम ने अपने नज़ारे का ||
    प्रभु बड़ा निराला प्यार है तेरा ये सारी दुनिया जाने |
    तुम सब के प्यारे हो मोहन ये तो बच्चा-बच्चा जाने ||

    दीन हीन को गले लगाना प्रभु है पहला काम तुम्हारा |
    इसीलिए मेरे ‘श्याम’ सबकी जुबा पर है नाम तुम्हारा ||
    करुना निधान के नाम से ये दुनिया तुम को पहचाने |
    तुम सब के प्यारे हो मोहन ये तो बच्चा-बच्चा जाने ||

    सदा-सदा को होए तुम्हारा जो एकबार तेरे दर आये |
    फिर चरणों में स्थान बना ले कभी लौट कर न जाए ||
    तेरे भक्त तेरी सेवा को अपना लक्ष्य और ध्येय माने |
    तुम सब के प्यारे हो मोहन ये तो बच्चा-बच्चा जाने ||

    स्वामी तेरे नाम से जो भी होता ,शुभ होता परिणाम |
    ‘श्याम’ तुम्हारे चमत्कार को सारी दुनिया करे सलाम ||
    इसीलिए तो सारी खलकत स्वामी तुमको अपना माने |
    तुम सब के प्यारे हो मोहन ये तो बच्चा-बच्चा जाने ||

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...