22 February 2013

भगवान सबको देखता है

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एक किसान था | उसका एक बेटा था रामू | एक दिन को बात है, किसान अपने खेत में काम कर रहा था | रामू भी वही था | पड़ोंसी के खेत में गाजर उगी हुई थी | रामू ने वहा जाकर एक गाजर खींचकर निकल ली | गाजर खींचते देख किसान अपने बेटे से बोला – “बेटा | वह खेत दुसरे किसान का है | तुमने उसके खेत से गाजर क्यों निकाली ??
रामू बोला – “में जानता हु, यह हमारा नहीं है | यह खेत राधे काका का है, परंतु काका इस समय नहीं नहीं |” बेटे की बात सुन किसान बोला – “बेटा, राधे ने तुम्हे नहीं देखा, परंतु भगवान तो देख रहा है | वह सबको देखता है |” रामू को अपने पिता की कही बात समझ आ गई |
एक बार की बात है, बरसात नहीं हुई | बरसात न होने से सभी किसानो के खेत सुख गए | खाने के लिए भी किसी के घर में अनाज नहीं था | सभी किसान बहुत परेशान थे |
भूख से बेचेन ही रामू को पिता सोचने लगा – “क्या करू? अनाज कंहा से लाऊ?” गाँव में केवल पड़ोसी राधे के खलियान में ही अनाज था | पिछले साल उसके खेत में गेहू की खूब पैदावार हुई थी | रामू के पिता ने राधे के खलियान से अनाज चोरी करने जी योजना बनाई |

खरगोश और कछुआ

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बहुत पुरानी बात है | एक गाँव था | उस गाँव के समीप एक नदी बहती थी | नदी के दूसरी तरफ घना जंगल था | उस जंगल में खरगोश रहता था | एक दिन की बात है | नदी में कही से एक बड़ा खरगोश आकर रहने लगा | खरगोश और कछुआ दोनों में दोस्ती हो गई | एक दिन खरगोश से पूछा की तुम क्या क्या जानते हो? कछुए ने खरगोश से घमंड से कहा – में बहुत से विद्याये जनता हु | खरगोश ने मुंह लटकाकर कहा – “ में तो केवल एक ही विदया जानता हु |”
खरगोश और कछुआ दोनी हर रोज साथ-साथ खेलते थे | एक दिन किसी मछुआरे ने नदी में जाल डाला | उस जाल में कछुआ भी फंस गया | उस दिन वह खरगोश के पास नहीं पहुच सका | खरगोश को चिंता हुई | वह कछुए से मिलने नदी पर गया | खरगोश ने देखा कछुआ मछुआरे के जाल में फंसा हुआ चटपटा रहा है | यह देखकर खरगोश चुपके से छिपते-छिपाते कछुए के पास गया और उससे कहने लगा – “दोस्त, क्या हुआ तुम तो बहुत सारी विदया जानते हो, कोई उपाय का जाल से बाहर आ जाओ |”
कछुए ने बहुत कोशिश किम परन्तु वो जाल से बहार न निकल पाया | उसने खरगोश से मदद मागी –“ दोस्त अब तुम ही मेरी जान बचा सकते हो | दया करो, मुझे यहाँ से बाहर निकालो | खरगोश ने कछुए से कहा, जब मछुआरा यंहा आए, तो तुम मरने का नाटक करना | वह तुम्हे मरा हुआ जानकर जाल से निकलकर नदी के बाहर रख देगा | उसी समय तुम नदी में चले जाना | कछुए ने ऐसा ही किया | मछुआरे ने कछुए को मरा हुआ जानकर उसे जाल से निकलकर नदी के बाहर जमीन पर रख दिया | फिर रस्सी उठाने झाड़ी की और चला गया |

आज्ञाकारी पति

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एक दिन बादशाह अकबर व बीरबल वेश बदलकर आगरे की सडको पर घूम रहे थे | तभी उन्होंने देखा की एक ओरत जोर – जोर से चिल्ला रही थी | वह आदमी से ख रही थी, “तुम एक पति होने के लायक नहीं हो | यहाँ से चले जाओ | मेरे दिए गए कम को पूरा किए बिना इस घर में कदम नहीं रखना |”
यह सब देखकर बादशाह ने बीरबल से पूछा, “ आदमी कोई  जवाब क्यों नहीं दे रहा| चुपचाप सबकुछ क्यों सुन रहा है? वाद शक्तिशाली है, ओरत पर पलट कर चिल्ला सकता है | वह ऐसा क्यों नहीं कर रहा है?” महाराज, सभी पति ऐसे ही होते है| सभी पति अपनी पत्नी की कहा मानते है और ऐसा ही उन्हें करना पड़ता है क्योकि यही शादी का सत्य है|”
अगले ही सुबह बादशाह ने शादीशुदा व्यक्तियों को महल में बुलाया | सभी के इकट्ठा होने पर वह बोले, “सभी पति जो अपनी पत्नियों की आज्ञा मानते है मेरे दायी तरफ खड़े हो जाए और जो मानते है वो बायीं  तरफ खड़े हो जाए |”
इस आदेश पर सभी पुरुष बादशाह के दायी तरफ खड़े हो गए | केवल एक ही व्यक्ति ही बादशाह की बायीं तरफ खड़ा था | यह देखकर की कम से कम एक व्यक्ति तो ऐसा है जो स्वयं की मर्जी का मालिक है, बादशाह अत्यंत प्रसन्न हुए | उन्होंने बीरबल से उसे इनाम देने को कहा, परन्तु बीरबल उस व्यक्ति से एक प्रशन पूछना चाहते थे |
उसने व्यक्ति से पूछा, “जब सभी व्यक्ति दायी और खड़े हुए है पर तुम अकेले ही बायीं तरफ खड़े हो | ऐसा क्यों?
“श्रीमान, दरसल मेरी पत्नी ने मुझसे कहा था, की तुम्हे भीड़ से अलग ही खड़े होना है, इसलिए में सभी से अलग खड़ा हुआ था |”
यह सुनकर सभी दरबारी, एकत्रित पति तथा बादशाह अकबर ठहाके मारकर हसने लगे | बादशाह ने बीरबल से कहा, “बीरबल, एक बार फिर तुम सही हो, तुमने साबित क्र दिया की सभी पति अपनी पत्नी की आज्ञा मानते है|”

Quotes

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  • क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है |
                                                            इंगरसोल
  • क्रोध मुर्खता से शुरू होता है और पशचाताप पर खत्म होता है |
पेथागोरस
  • क्रोध के सिंहासन पर बैठते ही बुद्धि वंहा से खिसक जाती है
एम्.हेनरी
  • क्रोध से मूढता उत्पन्न होती है मूढता से स्म्रति भ्रांत हो जाती है, स्म्रति भ्रांत होने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि के नष्ट होने पर प्राणी स्वंय नष्ट हो जाता है |
भगवान श्रीक्रष्ण
  • जब क्रोध आए, तो उसके परिणाम पर विचार करो |
क्न्फ्युश्स
  • यदि आप आत्मरक्षा करना चाहता है, तो अपने क्रोध को संभाल ले | ऐसा न करने पर क्रोध आपका नाश क्र देगा |
तिरुकुरल

नासमझी

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बहुत समय की बात है, जंगल में चार बेल रहते थे | उनका आपस में बहुत प्रेम था | वे आपस में घूमते, साथ खाते पीते और कभी भी झगड़ा नहीं करते थे | उसी जंगल में शेर भी रहता था | बेलो को देखकर वह उन्हें खाने के लिए नए नए उपाय करता, ताकि वह उन्हें खा सके | पर उन चारो को एक साथ देख कर निराश हो जाता था |
और एक दिन उसने चारो बेलो को लड़ाने का उपाय सोच लिया | वह उन चारो बेलो के पास जाकर इधर-उधर घुमने लगा | बेल उसे अपने इतने पास घूमता देखकर डर गए | घबराहट के कारण वे एक दुसरे से अलग हो गए | बस शेर को तो इसी मोके की तलाश में था | वह बारी-बारी से एक-एक बेल के पास गया और उनके कान में कुछ कहा – “कुछ नहीं” और फिर वहा से चला गया और दूर कही पेड़ के पीछे छिप गया | अब क्या था चारो बेल यह जानने को उसुक्त थे की शेर ने उनके कान में क्या कहा |

Feetured Post

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