19 February 2013

एकता और फुट

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एक जंगल में बटेर पक्षियो का बहुत बड़ा झुंड था | वे निर्भय होकर जंगल में रहते थे | इसी करण उनकी संख्या भी बढती जा रही है |
एक दिन एक शिकारी ने उन बटेरो को देख लिया | उसने सोचा की अगर थोड़े – थोड़े बटेर में रोज पकडकर ले जाऊ तो मुझे शिकार के लिए भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी |
अगले दिन शिकारी एक बड़ा सा जाल लेकर आया | उसने जाल तो लगा दिया, किन्तु बहुत से चतुर बटेर खतरा समझकर भाग गए | कुछ नासमझ और छोटे बटेर थे, वे फंस गए |
शिकारी बटेरो के इतने बड़े खजाने को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था | वह उन्हें पकड़ने की नई – नई तरकीबे सोचने लगा | फिर भी बटेर पकड़ में न आते |
अब शिकारी बटेर की बोली बोलने लगा | उस आवाज को सुनकर बटेर जैसे ही इकटठे होते कि शिकारी जाल फेककर उन्हें पकड़ लेता | इस तरकीब में शिकारी सफल हो गया | बटेर धोखा खा जाते और शिकारी के हाथो पकड़े जाते | धीरे – धीरे उनकी संख्या कम होने लगी |
तब एक रात एक बूढ़े बटेर ने सबकी सभा बुलाई | उसने कहा – “इस मुसीबत से बचने का एक उपाय में जनता हु | जब तुम लोग जाल में फंसे ही जाओ तो इस उपाय का प्रयोग करना | तुम सब एक होकर वह जाल उठाना और किसी झाड़ी पर गिरा देना | जाल झाड़ी के ऊपर उलझ जाएगा और तुम लोग निचे से निकलकर भाग जाना | लेकिन वह कम तभी हो सकता है जब तुममे एकता होगी |”

बीरबल के कहा

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एक बार गरीब गाँव वाले मिलकर बीरबल के पास गए | उन्होंने अपनी समस्या उसे बताई “ श्रीमान, हमारे गाँव को रेगिस्तान होने से बचाने के लिए कुछ कीजिए |
“मित्रो, तुम्हारे गाँव के साथ क्या गलत हो रहा है?” बीरबल ने पूछा |
श्रीमान| बादशाह अकबर अपने राज्य में अधिक – से – अधिक जगल चाहते है | उन्होंने अपने सेवको को आदेश दिया है की जितनी जमीन पर गाँव बसे हुए है, उतनी जमीन की जंगल में परिवर्तित कर दो | अधिक जंगलो का अर्थ है अधिक जानवर, जो रजा के शिकार के शोक को पूरा करेंगे |” एक बुजुर्ग ने बीरबल को बताया |
“मित्रो! तुम्हारी समस्या को सुलझाने का में अपनी तरफ से पूरा प्रयत्न करुगा| आप लोग निशिन्चत होकर अपने घर जाइए|” बीरबल के कहा |
अगली बार जब बादशाह अकबर शिकार के लिए गए, तब बीरबल उनके साथ था | वे एक पेड़ के समीप से गुजरे, जहा कुछ उल्लू जोर जोर से आवाजे निकल रहे थे |

सबसे कीमती-बीरबल

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एक बार रानी से कुछ गलती हो गई | बादशाह अकबर ने उन्हें क्रोध में आदेश दिया, “में चाहता हूँ की तुम चोबीस घंटे के अंदर राजमहल छोडकर चली जाओ | चाहे तो अपने साथ अपनी सबसे कीमती वस्तु ले जा सकती हो |”
रानी बहुत घबरा गई | ऐसे में उन्हें बीरबल ही एकमात्र सहारा नजर आया, इसलिए वह तुरंत मदद के लिए बीरबल के पास पहुची| बीरबल ने उनकी समस्या सुनी और बहुत सोच-विचर कर उन्हें एक योजना समझाई | उस योजना के अनुसार अपने कक्षमें आकर रानी ने अपनी सेविका को जल्दी ही अपना सामान बाधने के निदेश दिए | सब तेयारी जल्दी ही पूर्ण होने पैर रानी ने बादशाह को बुलवाया | बादशाह के आने पर वह बोली, “क्या आप हमारे हाथ से एक गिलास शरबत पि सकते है?”
बादशाह तेयार हो गए | रानी ने शरबत में नीद की दवा मिला गी थी | शरबत पिटे ही बादशाह गहरी नीद में सो गए | तब रानी ने सेनिको से पालकी मंगाकर बादशाह अकबर को उसमे लिटा दिया | फिर अपने सामान और बादशाह अकबर के साथ राजमहल छोड़ क्र अपने पिता के घर चली गई |
वंहा पहुचकर बादशाह को उन्होंने पलंग पर लिटा दिया | बादशाह अब तक नीद में थे | जब रानी के पिता ने उनसे इस सब का कारण पूछा तो उन्होंने उन्हें कुछ देर प्रतिक्षा करने को कहा | कुछ घंटो के पश्चात बादशाह की नीद खुली | उन्होंने अपने आस – पास देखा | रानी को उन्होंने खिड़की के पास खड़े पाया |

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