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28 January 2012
लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र
लाभ-हानि जीवन का हिस्सा है। जीवन के हर क्षेत्र में हार-जीत और खोने-पाने का सिलसिला चलता रहता है। यह सच जानते हुए भी हर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से घाटे या नुकसान से बचने की तमाम कोशिशें करता है, किंतु कहीं न कहीं बुरे समय या किसी चूक से उसे मुश्किलों से दो-चार होना ही पड़ता है।
शास्त्रों में ऐसे ही विपरीत हालात से बचने और बाहर आने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। मातृशक्ति लक्ष्मी को सभी संपत्ति, सिद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। इसलिए खासतौर पर जब व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से घिर जाता है और परिवार तंगहाली या कारोबार में घाटे के दौर से गुजर रहा हो तो माता लक्ष्मी के आठ रूपों यानी अष्टलक्ष्मी की उपासना व मंत्र ध्यान आमदनी व बचत बढ़ाने वाले माने गए हैं।
जानते हैं शुक्रवार के दिन लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र-
- शुक्रवार के दिन शाम के समय स्नान कर घर के देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस एक मुट्ठी चावल रख जल कलश रखें।
- कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।
- इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें-
- ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ कामलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।
- इसके बाद धूप और घी के दीप से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं।
- श्रद्धा भक्ति के साथ माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती के बाद जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पाठ भी करें।
- अंत में उपासना में हुई त्रुटि के लिए क्षमा मांग तन, मन और धन की परेशानियों को दूर करने की कामना करें।
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