19 October 2011

हमारे दशनाम इस परकार है ः

हमारे दशनाम इस परकार है ः
(1)-वन, (2)-अरण्य, (3)-गिरि, (4)-सागर, (5)-पर्वत, (6)-तीर्थ, (7)-आश्रम, (8)-पुरि, (9)-भारती, (10)-सरस्वती

हमारे समाज की 52 मढी है जो इस परकार है----
गिरि,पर्वत,सागर की 27 मढी है
ओर पुरियो की 16 मढी है,
ओर गुरू शंकरा चार्य सन्यासी वन की 4 मढी हैI
ओर भारतीयो की 4 मढी है
ओर लामा गुरू की 1 मढी है

जिनका विवरण इस परकार है:-

{गिरि,पर्वत,सागर की 27 मढी इस परकार है --

1-रामदत़ी, 2-ओंकार लाल नाथी, 3-चन्दनाथी बोदला, 4-व्रहा नाथी, 5-दुर्गा नाथी, 6-व्रहा नाथी, 7-सेज नाथी, 8-जग जीवन नाथी, 9-पाटम्बर नाथी, 10-ज्ञान नाथी- -11-अघोर नाथी, 12-भाव नाथी, 13-ऋदि नाथी, 14-सागर नाथी, 15-चाँद नाथ बोदला, 16-कुसुम नाथी, 17-अपार नाथी, 18-रत्न नाथी, 19-नागेन्द्र नाथी, 20-रूद्र नाथी 21-महेश नाथी, 22-अजरज नाथी, 23-मेघ नाथी, 24-पर्वत नाथी, 25-मान नाथी, 26-पारस नाथी, 27-दरिया नाथी

पुरियो की 16 मढी इस परकार है:-

1-वैकुण्ठ पुरि, 2-केशव पुरि मुलतानी, 3-गंगा पुरि दरिया पुरि, 4-ञिलोक पुरि, 5-वन मेघनाथ पुरि, 6-सेज पुरि, 7-भगवन्त पुरि, 8-पू्रण पुरि 9-भण्डारी हनुमत पुरि, 10-जड भरत पुरि, 11-लदेर दरिया पुरि, 12-संग दरिया पुरि, 13-सोम दरिया पुरि 14-नील कण्ठ पुरि, 15-तामक भियापुरि, 16-मुयापुरिनिरंजनी-

गुरू शंकरा चार्य सन्यासी वन की 4 मढी इस परकार ह:-

1-गंगासनी वन, 2-सिंहासनी वन, 3-वाल वन कुण्डली श्री वन, 4-होड सारी वन-अत्म वन,

भारती की 4 मढी इस परकार है-
1-मन मुकुन्द भारती , 2-नृसिंह भारती, 3-पदम नाथ भारती , 4-बाल किषन भारती ,

लामा गुरू की 1 मढी इस परकार है-
पाहरी की छाप लामा गुरु की मढी चीन में है॥

कृपया इस विवरण को समाज के व्यक्तियो तक पहुचाऎ ताकि सभी हमारे समाज के बारे में जान सके॥

क्या आप जानते हैं? ज्योतिर्लिंग कितने हैं?

यह भगवान शंकर के रूप में स्थापित हैं। ये हिंदुओं के लिए पूज्य हैं। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं, ये हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, ओंकार, केदारनाथ, भीमशंकर, नागेश्वर, वैद्यनाथ, रामेश्वर, घृणेश्वर, विश्वेश्वर और त्रयंबकेश्वर।

पौराणिक ग्रंथों में अयोध्या और सरयु नदी की क्या चर्चा मिलती है?

अयोध्या नगर की चर्चा रामायण में मिलती है। माना जाता है कि मनु के एक अवतार ने इसे सरयु नदी के किनारे बसाया था। यह सूर्यवंशी राजाओं की नगरी थी। राजा दशरथ यहां के राजा हुआ करते थे। भगवान राम का जन्म उन्हीं के घर हुआ था। पुराण की एक और कथा के अनुसार, राजा सगर के पुत्र असमंजस ने अयोध्या के बच्चों को मारकर इस नदी में फेंक दिया था। पर बाद में उन्हें फिर जिंदा भी कर दिया था।
उत्तर प्रदेश में आज भी अयोध्या नाम का एक शहर अवस्थित है।

अनंतचतुर्दशी में किस देवता की पूजा की जाती है?

अनंतचतुर्दशी में भगवान अनंत की पूजा की जाती है। यह भादों के शुक्लपक्ष के चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन चौदह धागों से निर्मित ‘अनंत’ (चौदह गाठों वाली डोर) को बांह पर बांधा जाता है। पुरुष इसे बाईं बांह पर और स्त्रियां इसे दाईं बांह पर बांधती है। अनंत की चौदह गांठें भगवान के चौदह गुणों का प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए अनंत को चौदह दिनों तक बांह पर बांध कर रखा जाता है।

महाभारत की रचना किन्होंने की थी?

महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी। ये पराशर ऋषि के पुत्र थे। जन्म नदी के बीच एक टापू पर होने और रंग काला(कृष्ण) होने के कारण, इनका नाम ‘कृष्ण द्वैपायन’ पड़ गया। माना जाता है कि बाद में इन्होंने वेदों का संपादन भी किया था। वेदों के संपादन के बाद इनका नाम वेद-व्यास पड़ गया।

क्या आप जानते हैं?

द्वापर युग क्या था?

पुराणों में, पृथ्वी की रचना को बारह युगों में बांटा गया है। द्वापर युग बारह युगों में तीसरा है। पुराणों के अनुसार इस युग में पृथ्वी पर पाप कर्म बढ़ गए थे। भगवान कृष्ण का अवतार इसी युग में हुआ था। महाभारत का युद्ध इसी युग में हुआ था। पुराणों में इसे 864000वर्ष का माना जाता है। माना जाता है कि इस युग में लोगों की आयु 2000 साल की होती थी।

भगवान विष्णु को नरसिंह अवतार क्यों लेना पड़ा?

हिरण्यकशिपु नामक दैत्य को ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु न मनुष्य से न देवता से, न घर के अंदर न बाहर, न दिन और न ही रात में होगी। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु उसकी विष्णु भक्ति ने अप्रसन्न था। वह उसका वध करने लगा। उसने प्रह्लाद को खंभे में बांधकर ज्योंही तलवार उठाई कि खंभे से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में उत्पन्न हुए। उनका सिर सिंह का और धड़ मनुष्य का था। उन्हें ब्रह्मा जी के वरदान के बारे में पता था, उन्होंने द्वार के बीच में अपनी गोद में हिरण्यकशिपु को बिठाकर उसका पेट चीर डाला। यह समय भी संध्या काल का था-यानि न दिन न रात।

नर्मदेश्वर कौन हैं?

नर्मदेश्वर एक पवित्र शिवलिंग है जिसे भगवान शिव का रूप माना जाता है। यह नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है। नर्मदेश्वर को महत्वपूर्ण तीर्थ-स्थानों में एक माना जाता है। पुराणों के अनुसार इस तीर्थ में पूजा करने से पुण्य मिलता है।

‘मीमांसा’ क्या है?

यह भारत के छह दर्शनों में एक है। इसे वेदों का अंग माना जाता है। इसके दो भाग हैं, पूर्व मीमांसा और उत्तरमीमांसा। मीमांसा दर्शन के रचनाकार जैमिनि नामक ऋषि थे। इस ग्रंथ में वेद के उपदेशों की व्याख्या की गई है।

नारायणी सेना क्या थी?

महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण की सेना का नाम नारायणी था। कृष्ण की शर्त थी कि महाभारत की लड़ाई में जिस पक्ष से वे लड़ेंगे उनकी सेना उनके दूसरे पक्ष के साथ रहेगी। दुर्योंधन ने उनकी विशाल सेना को अपनी तरफ (कौरवों) रखने की इच्छा जाहिर की फलस्वरूप भगवान कृष्ण को पांडवों की तरफ से लड़ना पड़ा।

पूरी नींद लेने के फायदे ही फायदे

फुर्सत की जिंदगी में हम ज्यादा सोते हैं। पूरी नींद लेने के अनेक फायदे हैं, जिनमें से पांच नींचे दिए जा रहे हैं।

1. संतुलित वजन

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया है कि कम सोने वालों के शरीर का वजन ज्यादा होता है। ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन में यह देखा गया कि पांच घंटे की नींद लेने वाले लोगों में भूख बढ़ाने वाला हार्मोन 15 फीसदी अधिक मात्रा में बनता है। वहीं आठ घंटे की नींद लेने वाले लोगों में यह हार्मोन सामान्य मात्रा में ही बनता है। हार्मोन के बढ़ने से लोग ज्यादा खाते हैं और मोटापे का शिकार होते हैं।

2.अच्छी याद्दाश्त

पर्याप्त नींद लेने वालों की याददाश्त भी अच्छी रहती है। इस संबंध में हावर्ड में एक प्रयोग किया गया। उसमें यह निष्कर्ष निकाला गया कि 12 घंटे की नींद सोने वाले लोग सीखी हुई चीजों को अच्छी तरह से याद रख पाते हैं। एक दूसरे प्रयोग का नतीजा यह था कि देर रात तक काम करने वाले लोगों की सोचने की क्षमता कम हो जाती है।

3.बीमारियों से बचाव

अच्छी नींद से हमारे शरीर की, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। एक शोध में पाया गया है कि कम नींद लेने वालों के शरीर में रोगों से लड़ने वाली कोशिकाएं कम हो जाती हैं। और तो और रात की पालियों में काम करने वालों में स्तन कैंसर होने की संभावना 80 फीसदी बढ़ जाती है। पूरी नींद सोने वालों में सर्दी-जुकाम और अल्सर जैसी बीमारियां भी कम होती हैं।

4.उम्र बढ़ने के लक्षण भी कम होते हैं

पर्याप्त नींद नहीं लेने वालों को बढ़ती उम्र के कई लक्षण आ घेरते हैं। एक व्यापक शोध में यह पाया गया कि प्रतिदिन 6 से 7 घंटे की नींद लेने वाले 4.5 घंटे से कम सोने वालों की तुलना में लम्बी उम्र जीते हैं।

5.बच्चों की मानसिकता पर प्रभाव

पर्याप्त नींद न लेने से किशोरों में पनपते अवसाद और आत्मविश्वास की कमी में भी फायदा पहुंचता है। आपके बच्चे अगर कम नींद लेते हैं तो उनमें शराब और ड्रग लेने की आदत पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।

प्रार्थना, ध्यान और योग से बढ़ती है एकाग्रता

बच्चों को एकाग्र करने के लिए योग का सहारा लें

बहुत सारे बच्‍चों ने अपने व्‍यवहार से यह प्रमाणित कर दिया है कि टेलीविजन के सामने बैठने की उनकी आदत से उनकी एकाग्रता घटती है। टेलीविजन के सामने बैठने की बजाय यदि उन्हें ध्यान के कुछ सरल तरीके बताए जाएं तो उन्हें हर तरह से फायदे ही होंगे।

ध्‍यान करने से उनके स्‍वास्‍थ्‍य पर तो सकारात्‍मक प्रभाव पड़ता ही है, उनके मानसिक सेहत पर भी अनुकूल असर पड़ता है।

अमेरिका के मेडिकल कॉलेज के एक अध्‍ययन के मुताबिक स्‍कूल जाने वाले मध्‍य आयु के 34 बच्‍चों ने लगातार तीन महीनों तक प्रतिदिन 20 मिनट ध्‍यान किया। ऐसा करने से उन बच्‍चों के रक्‍तचाप में आश्‍चर्यजनक रूप से कमी आई।

चाय की चुस्की से सुधारें स्वास्थ्य

वैज्ञानिक चाय पीने से होने वाले लाभों की खोज में निरंतर लगे हुए हैं। युनाइटेड किंगडम के न्‍यूकैसल विश्‍वविद्यालय में किए गए कुछ परीक्षणों से यह पता चला है कि चाय के इस्‍तेमाल से और उसमें भी खासकर हरी चाय के इस्‍तेमाल से आपकी स्‍मरण-शक्ति बढ़ सकती है। साथ ही यह एल्‍जाइमर की संभावना को भी कम करता है।

इसके पहले शिकागो में किए गए एक अध्‍ययन से यह निष्‍कर्ष निकला गया कि जिन लोगों को अधिक तनाव और सिरदर्द होता था, उन्‍हें सिर्फ कैफीन के सेवन से ही बहुत अधिक फायदा पहुंचा। उतना ही, जितना कि दर्दनाशक दवा से पहुंचता है।

प्राय: दांतों के ऊपर रंगहीन और खुरदरी-सी परत जम जाती है। इलिनॉइस के एक समूह ने यह भी पता लगाया कि काली चाय में पाया जाने वाला तत्‍व पॉलीफिनॉल दांतों के ऊपर जमने वाली इस रंगहीन परत को दूर करता है और इसे फिर से बनने से रोकता है।

साथ ही पॉलीफिनॉल दांतों के बीच छेद और गड्ढा करने वाले अम्‍लों की मात्रा को भी कम करता है।

वजन घटाने वाले ठंडे पानी से सावधान रहें!

प्राय: कहा जाता है कि तैरना बहुत अच्‍छा व्‍यायाम है और यह सभी दृष्टि से फायदेमंद होता है। तैरना एक पूर्ण व्‍यायाम है। यद्यपि तैरना बहुत से लोगों के लिए लाभदायक हो सकता है, क्‍योंकि तैरते समय शरीर को पानी का सहारा मिलता रहता है, जिस वजह से जोड़ों को झटके नहीं लगते। पानी के सहारे की वजह से जोड़ों पर पड़ने वाला प्रभाव कम हो जाता है।

लेकिन यदि आप अपना वजन कम करने के लिए तैर रहे हैं तो ठंडे पानी में तैरना खतरनाक भी हो सकता है।

फ्लोरिडा विश्‍वविद्यालय में इस संदर्भ में एक शोध किया गया। शोधकर्ताओं ने, कुछ लोगों को, 45 मिनट तक पानी के भीतर सीधे साइकिल पर व्‍यायाम करने के लिए कहा। पहले पानी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रखा गया और उसके बाद उसे बढ़ाकर 33 डिग्री सेल्सियस कर दिया गया। इसके अतिरिक्‍त उन्‍होंने 45 मिनट तक सिर्फ आराम किया।

हर चरण के बाद वे लोग खाने-पीने की चीजों से भरे हुए कमरे में 45 मिनट तक रहे। उन्‍हें यह नहीं बताया गया था कि उनकी कैलोरी (ऊर्जा) का हिसाब रखा जा रहा है।

गर्म पानी में व्‍यायाम करने की तुलना में ठंडे पानी में व्‍यायाम करने के बाद लोगों ने 44 प्रतिशत अधिक कैलोरी ग्रहण की। और 45 मिनट तक सिर्फ आराम करने के बाद उन्‍होंने 41 प्रतिशत अधिक कैलरी ग्रहण की।

इस अध्‍ययन से यह पता चलता है कि शरीर का तापमान, व्‍यायाम के बाद ग्रहण किए जा रहे भोजन पर गहरा प्रभाव डालता है। शरीर का तापमान कम या ज्‍यादा होने पर व्‍यायाम के बाद ग्रहण किए जा रहे भोजन की मात्रा बदल जाती है।

इसके पहले के एक अध्‍ययन से भी यही बात प्रमाणित होती है, जिसमें यह पाया गया था कि जिन महिलाओं ने वजन कम करने के लिए तैरने का तरीका अपनाया, उन महिलाओं की तुलना में उनका कम वजन घटा, जिन्‍होंने वजन कम करने के लिए दौड़ने या साइकिल चलाने का तरीका अपनाया।

झपकी लीजिए, मस्‍त रहिए

हममें से बहुतों को हर रोज रात में सात से आठ घंटे सोने की सलाह दी जाती है। और जो लोग दिन में अपने काम के बीच एकाध झपकी ले लेते हैं, उन्‍हें डर लगता है कि कहीं ऐसा करने से उनकी रात की नींद न खराब हो जाए।

लेकिन अमेरिका के शोधकर्ताओं का कहना है कि दिन में झपकियां लेने से रात की नींद में खलल नहीं पड़ता और न ही रात में नींद आना मुश्किल होता है, बल्कि झपकियां लेने से दिमाग कहीं बेहतर तरीके से काम करता है। इस संबध में अमेरिका में एक शोध किया गया।

शोधकर्ताओं ने करीब 32 वयस्‍क लोगों को सोचने और याद करने का कुछ काम‍ दिया। तीसरे दिन उन्‍हें दो से चार बजे दोपहर में थोड़ी देर झपकियां लेने या हल्‍का सो लेने के लिए कहा गया।

उसके बाद चार दिनों तक उन लोगों ने बिल्‍कुल झपकी नहीं ली और काम पूरा किया। जिस दिन उन लोगों ने झपकियां ली थीं, उस दिन उनके काम का प्रदर्शन बेहतर रहा। साथ ही साथ दिन में झपकी लेने का कोई भी प्रभाव उनकी रात्रि की नींद पर नहीं पड़ा।

उनकी रात की नींद पहले की तरह ही गहरी और संतुष्टिदायक थी। निद्रा संबंधी गड़बड़ियों के विशेषज्ञ डॉ. थॉमस रॉथ का कहना है, ‘दरअसल जैविक रूप से मनुष्‍य को 10 घंटे नींद की आवश्‍यकता होती है। इसलिए अगर संभव हो तो, आप दिन में भी थोड़ी देर सोने का समय निकालें।

सभी लोग दिन में झपकियां नहीं ले सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सौभाग्‍य से यदि आप सप्‍ताह के अंत में भी, अगर दोपहर में आराम कर सकें तो यह बहुत फायदेमंद होता है।

सफलतापूर्वक काम निपटाने के तरीके

जब आपके सिर पर काम का पहाड़ इकट्ठा होने लगता है तो देर रात तक रुककर उन कामों को निपटाने में भी एक किस्‍म का आनंद मिलता है। इस चीज का भी अपना एक आकर्षण है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा मेहनत करके काम को पूरा किया जाए। लेकिन आप और आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए यह खतरनाक भी हो सकता है।

अमेरिका में किए गए एक शोध के मुताबिक जो लोग काम के लिए अपने सुनिश्चित घंटों से ज्‍यादा काम करते हैं, उनकी काम से संबंधित दिक्‍कतें और परेशानियां बढ़ जाती हैं। और जो लोग काम के लिए निश्चित घंटों में ही काम करते हैं, उन्‍हें इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

यहां हम आपको कुछ तरकीबें बता रहे हैं कि कैसे आप काम के निश्चित घंटों से अधिक काम किए बगैर भी अपने काम को समय पर और आसानी से कैसे निबटा सकते हैं। यहां कॉलिन की ‘सबकुछ कार्यालय में ही कैसे करें’ से कुछ युक्तियां सुझाई जा रही हैं :

काम की समझ...

यह सुनिश्चित करने के लिए कि पहले ही चरण में सारा काम अच्‍छे तरीके से और पूर्णत: समाप्‍त हो जाए, काम से संबंधित आपकी समझ बिल्‍कुल सही और सटीक होनी चाहिए।

पहले एक काम खत्म करें...

अगले काम की शुरुआत करने से पूर्व जो काम आपके हाथ में हैं, पहले उसे खत्‍म करें।

कठिन काम का समय..

यह सोचना छोड़ दीजिए कि अपने हाथों में जिम्‍मेदारी लेने और कामों का प्रतिनिधित्‍व करने में सदा अधिक समय लगता है। पूर्ण दायित्‍व के साथ काम करने के लिए निश्चित समय से अधिक तो काम करना ही पड़ेगा। खासतौर पर अगर किसी काम को कई बार करने की आवश्‍यकता हो, तब भी कामों को अतिरिक्‍त समय देने की कोई आवश्‍यकता नहीं होती है।

देखिए कि आप किस समय अपने भीतर सर्वाधिक ऊर्जा महसूस करते हैं। सबसे कठिन काम उसी समय में करें, जब आपके भीतर सबसे ज्‍यादा ऊर्जा हो।

थोड़ा आराम भी...

दोपहर के खाने के समय अपने कार्यालय के बाहर थोड़े समय के लिए घूम आएं। इससे आपकी ऊर्जा पुन: संगठित हो जाएगी और आपकी उत्‍पादकता में भी वृद्धि होगी।


अपने काम के लिए समय का बहुत कड़ा और कठोर नियम न बनाएं। ऐसा करने से काम में होने वाली अनपेक्षित देरी को टाला जा सकता है।

एलर्जी का इलाज है मूंगफली

ऐसे बच्‍चों की संख्‍या निरंतर बढ़ती जा रही है, जिन्‍हें कुछ कड़े छिलके वाली चीजों, जैसे बादाम, अखरोट आदि से एलर्जी होती है। इस एलर्जी के कुछ घातक परिणाम भी हो सकते हैं।

अध्‍ययन से पता चलता है कि इस एलर्जी के शिकार बच्‍चों में से 20 प्रतिशत प्राय: जल्‍द ही उससे मुक्‍त भी हो जाते हैं, लेकिन इस बात की पूरी संभावना बनी रहती है कि वे पुन: उस एलर्जी के शिकार हो जाएं।

अब वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि दानों वाले फल, जैसे मूंगफली के सेवन से ऐसी एलर्जी की संभावना को कम किया जा सकता है।

अमेरिका के मैरिलैंड में ‘जॉन हॉपकिंस बाल केंद्र’ के एक अध्‍ययन में ऐसे 68 बच्‍चों पर शोध किया गया, जो इस किस्‍म की एलर्जी के शिकार थे। इस शोध में यह पाया गया कि जो बच्‍चे निरंतर मूंगफली का सेवन कर रहे थे, उनमें इस तरह की एलर्जी का होना कम हो गया। जबकि अन्‍य बच्‍चे, जो कभी-कभी ही ऐसे फलों का सेवन करते थे, उनमें एलर्जी होने की संभावना निरंतर बनी रहती थी।

ज्यादा दोस्त बनाएं, अपनी उम्र बढ़ाएं

यह तो माना जाता था कि विवाहित लोगों की जिंदगी कुंवारों की तुलना में लंबी होती है। लेकिन क्या दोस्तों के साथ का भी हमारे स्वास्थय पर सकारात्मक असर होता है?

ऑस्ट्रेलिया में इस सम्बंध में एक नया अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के मुताबिक अपने दोस्तों के बीच ज्यादा से ज्यादा रहने से हम ज्यादा लम्बी जिंदगी जीते हैं।

उनके अनुसार, रिश्तेदारों के बीच रहने से हमारी उम्र पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। यह निष्कर्ष, 70 वर्ष से ऊपर के 1,477 लोगों पर, दस साल तक किए गए अध्ययन के बाद निकाला गया है।

इस शोध दल के मुताबिक दोस्त आपके व्यवहार को रिश्तेदारों की तुलना में ज्यादा प्रभावित करते हैं। इससे आपके स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।

स्वस्थ रहना हैं तो आज भी खेलें बचपन के खेल

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...